शनिवार, 17 जून 2017

👉 हमारी वसीयत और विरासत (भाग 115)

🌹  ब्राह्मण मन और ऋषि कर्म

🔵 बुद्ध के परिव्राजक संसार भर के धर्मचक्र प्रवर्तन हेतु दीक्षा लेकर निकले थे। शान्तिकुञ्ज में, मात्र अपने देश में धर्मधारणा के विस्तार हेतु ही नहीं, संसार के सभी देशों में देव संस्कृति का संदेश पहुँचाने हेतु परिव्राजक दीक्षित होते हैं। यहाँ आने वाले परिजनों को धर्म चेतना से अनुप्राणित किया जाता है। भारत में ही प्रायः एक लाख प्रज्ञा पुत्र परिव्रज्या में निरत रह कर घर-घर अलख जगाने का कार्य कर रहे हैं। 

🔴 आर्यभट्ट ने सौर मंडल के ग्रह-उपग्रहों का ग्रह गणित कर यह जाना था कि पृथ्वी के साथ सौर परिवार का क्या आदान-प्रदान क्रम है और इस आधार पर धरित्री का वातावरण एवं प्राणी समुदाय कैसे प्रभावित होता है। शान्तिकुञ्ज में एक समग्र-वेधशाला बनाई गई है एवं आधुनिक यंत्रों का उसके साथ-साथ समन्वय स्थापित कर ज्योतिर्विज्ञान का अनुसंधान किया जा रहा है। दृश्य गणित पंचांग यहाँ की एक अनोखी देन है।

🔵 चैतन्य महाप्रभु, संत ज्ञानेश्वर, समर्थ गुरु रामदास, प्राणनाथ महाप्रभु, रामकृष्ण परमहंस आदि सभी मध्यकालीन संतों की धर्मधारणा विस्तार परम्परा का अनुसरण शान्तिकुञ्ज में किया गया है।

🔴 सबसे महत्त्वपूर्ण प्रसंग यह है कि इस आश्रम का वातावरण इतने प्रबल संस्कारों से युक्त है कि सहज ही व्यक्ति अध्यात्म की ओर प्रेरित होता चला जाता है। यह सूक्ष्म सत्ताधारी ऋषियों की यहाँ उपस्थिति की ही परिणति है। वे अपने द्वारा सम्पन्न क्रियाओं का यह पुनर्जीवन देखते होंगे तो निश्चय ही प्रसन्न होकर भावभरा आशीर्वाद देते होंगे। ऋषियों के तप प्रताप से ही यह धरती देवमानवों से धन्य हुई है। बाल्मीकि आश्रम में लव−कुश एवं कण्व के आश्रम में चक्रवर्ती भरत विकसित हुए। कृष्ण-रुक्मिणी ने बद्री नारायण में तप करके कृष्ण सदृश्य प्रद्युम्न को जन्म दिया था। पवन एवं अञ्जनी ने तपस्वी पूषा के आश्रम में बजरंग बली को जन्म दिया। यह हिमालय क्षेत्र में बन पड़ी तप साधना के ही चमत्कारी वरदान थे।

🌹 क्रमशः जारी
🌹 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
http://hindi.awgp.org/gayatri/AWGP_Offers/Literature_Life_Transforming/Books_Articles/hari/brahman.4

👉 प्रेरणादायक प्रसंग 17 Jun 2017



👉 आज का सद्चिंतन 18 Jun 2017

👉 चार मोमबत्तियां

🔴 रात का समय था, चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था, नज़दीक ही एक कमरे में चार मोमबत्तियां जल रही थीं। एकांत पा कर आज वे एक दुसरे से दिल की बात कर रही थीं।

🔵 पहली मोमबत्ती बोली, ” मैं शांति हूँ, पर मुझे लगता है अब इस दुनिया को मेरी ज़रुरत नहीं है, हर तरफ आपाधापी और लूट-मार मची हुई है, मैं यहाँ अब और नहीं रह सकती। …” और ऐसा कहते हुए, कुछ देर में वो मोमबत्ती बुझ गयी।

🔴 दूसरी मोमबत्ती बोली, ” मैं विश्वास हूँ, और मुझे लगता है झूठ और फरेब के बीच मेरी भी यहाँ कोई ज़रुरत नहीं है, मैं भी यहाँ से जा रही हूँ …”, और दूसरी मोमबत्ती भी बुझ गयी।

🔵 तीसरी मोमबत्ती भी दुखी होते हुए बोली,  मैं प्रेम हूँ, मेरे पास जलते रहने की ताकत है, पर आज हर कोई इतना व्यस्त है कि मेरे लिए किसी के पास वक्त ही नहीं, दूसरों से तो दूर लोग अपनों से भी प्रेम करना भूलते जा रहे हैं, मैं ये सब और नहीं सह सकती मैं भी इस दुनिया से जा रही हूँ…. और ऐसा कहते हुए तीसरी मोमबत्ती भी बुझ गयी।

🔴 वो अभी बुझी ही थी कि एक मासूम बच्चा उस कमरे में दाखिल हुआ।

🔵 मोमबत्तियों को बुझे देख वह घबरा गया, उसकी आँखों से आंसू टपकने लगे और वह रुंआसा होते हुए बोला, “अरे, तुम मोमबत्तियां जल क्यों नहीं रही, तुम्हे तो अंत तक जलना है! तुम इस तरह बीच में हमें कैसे छोड़ के जा सकती हो?”

🔴 तभी चौथी मोमबत्ती बोली, ” प्यारे बच्चे घबराओ नहीं, मैं आशा हूँ और जब तक मैं जल रही हूँ हम बाकी मोमबत्तियों को फिर से जला सकते हैं। “

🔵 यह सुन बच्चे की आँखें चमक उठीं, और उसने आशा के बल पे शांति, विश्वास, और प्रेम को फिर से प्रकाशित कर दिया।

🔴 मित्रों, जब सबकुछ बुरा होते दिखे, चारों तरफ अन्धकार ही अन्धकार नज़र आये, अपने भी पराये लगने लगें तो भी उम्मीद मत छोड़िये….आशा मत छोड़िये, क्योंकि इसमें इतनी शक्ति है कि ये हर खोई हुई चीज आपको वापस दिल सकती है।

🔵 अपनी आशा की मोमबत्ती को जलाये रखिये, बस अगर ये जलती रहेगी तो आप किसी भी और मोमबत्ती को प्रकाशित कर सकते हैं।

👉 महिमा गुणों की ही है

🔷 असुरों को जिताने का श्रेय उनकी दुष्टता या पाप-वृति को नहीं मिल सकता। उसने तो अन्तत: उन्हें विनाश के गर्त में ही गिराया और निन्दा के न...